जिंदगी में संकट का हर दरिया पार होगा, थोड़ी सी हिम्मत रखिए… देखना, एक दिन चमत्कार भी होगा…
एक सिटी के सबसे अमीर सेट के पास बहुत सारा पैसा था. बहुत सारे बिज़नेस चल रहे थे.... बहुत सारी फैक्टरीज के मालिक थे... कहीं कोई कमी नहीं, हर तरीके से संपन्न थे. एक दिन अपनी फैक्ट्री का दौरा करके शाम में घर लौटे थे... उनका एक बड़ा सा आलीशान बंगला था... अंदर पहुंचे, तो देखा कि घर वाले सारे लोग पूजा पाठ कर रहे थे... शाम की आरती चल रही थी... सेठ जी को भगवान से थोड़ी दूरी बनाने में मजा आता था... नास्तिक टाइप के थे वह... इसलिए वोअपने कमरे में चुपचाप चले गए और जाकर अपना हिसाब किताब करने लगे... साथ में नौकर को बुलाकर कहा कि अब कॉफी लेकर आ जाओ... नौकर कॉफ़ी तैयार करने के लिए चला गया... अचानक सेठ जी को दर्द होने लगा, सीने में बेचैनी महसूस होने लगी... वापस नौकर को बुलाया और कहा कि एक काम करो, फटाफट से डॉक्टर को बुलाओ। उसे सिटी के जो टॉप हॉस्पिटल के डॉक्टर थे, वह सारे के सारे आए... आकर के जांच करी... बहुत सारे टेस्ट हुए और रिपोर्ट से मालूम चला कि सेठ जी हर तरीके से परफेक्टली फाइन थे... सेठ जी ने कहा- कि मुझे तो अभी भी बेचैनी हो रही है... मेरे लिए तो दवाइयां लिखिए। डॉक्टर ने कहा कि आप ठीक है... कहां परेशान हो रहे हैं? फिर भी सेठ जी का मन अंदर ही अंदर अजीब सा महसूस कर रहा था... डॉक्टर ने दवाइयां लिख दी, और साथ में नींद की गोली लिख दी कि अगर नींद ना आए तो यह भी ले लेना। लेकिन आप आज आराम करना, किसी बात की वजह से शायद आप परेशान है... इसीलिए आपको बेचैनी हो रही है... नौकर ने खाना तैयार किया, और दवाइयां लेकर आ गया...
सेठ जी ने दवाई ली और सोने के लिए बिस्तर पर चले गए... लेकिन नींद नहीं आ रही थी. करवट बदल रहे थे... बिस्तर से उठ कर उन्होंने नींद की गोली भी ले ली... लेकिन तब भी नींद नहीं आ रही थी... बहुत देर हो गई थी, घड़ी उठा करके देखा तो रात की 3:00 बज रही थी... सन्नाटा था, हर तरफ शांति थी... उन्हें लगा कि इस बंद कमरे में शायद घुटन हो रही होगी। कमरे से बाहर निकले। अपने आलीशान बंगले के बगीचे में गए... गार्डन में जाकर टहलने लगे... लेकिन वहां भी उन्हें सुकून नहीं आ रहा था... उन्होंने सोचा कि थोड़ा बाहर टहल के आता हूं. घर से बाहर निकल गए... कॉलोनी में सड़क पर टहलते टहलते दूर चले गए... उनके दिमाग में फैमिली को लेकर, बिजनेस को लेकर पता नहीं 50 बातें चल रही थी... वो घर से कब बहुत आगे निकल गए, के मालूम भी नहीं चला... सड़क किनारे एक चबूतरा था, वहां जाकर बैठ गए... चप्पल नीचे उतार दी... वहां आराम से बैठे बैठे अपने बचपन को याद करने लगे... उन दिनों को याद करने लगे जब स्ट्रगल किया करते थे, जब लाइफ में कुछ नहीं था... सेठ जी अपने ख्यालों में थे, तभी वहां एक कुत्ता आया और उनकी एक चप्पल अपने मुंह में दबा करके भाग गया... सेठ जी ने देखा तो फटाफट से उसके पीछे भागे अपनी चप्पल छुड़वाने के लिए... कुत्ता दौड़ता दौड़ता पास में झुग्गी झोपड़ी में चला गया... सेठजी उसके पीछे गए और फटाफट चप्पल छुड़ाकर दूसरी वाली चप्पल भी पहनी, और वापस अपने घर के लिए आने के लिए तैयार होने लगे... बहार काफी देर हो चुकी थी... तभी उन्हें किसी के रोने की आवाज आने लगी... उन्होंने आसपास देखा, तो एक झोपड़ी में से रोने की आवाज आ रही थी... एक महिला के रोने की आवाज थी... तकरीबन सुबह के 4:00 बज रहे होंगे, काफी देर हो चुकी थी... सेठ जी ने सोचा कि क्या करूं? जाकर पूछूं क्या बात है, या फिर अपने घर चला जाऊं? उन्होंने सोचा, कहां फालतू के पंगे में पढ़ना है? अपना काम करते हैं, अपने काम से काम रखते हैं... सेठ जी घर की तरफ चलने के लिए आगे बढ़े। चार-पांच कदम आगे बढ़े ही होंगे, फिर मन में दूसरा ख्याल आया कि एक बार जाकर के पूछ तो लूं, पता तो कर लूं की बात क्या है? उस झोपड़ी के पास गए, झांक के देखा तो अंदर वाकई में एक महिला रो रही थी... वो झोपड़ी की दीवार से सर पटक पटक के रो रही थी... सेठ जी ने हिम्मत करके दरवाजा खटखटाया। उस महिला ने दरवाजा खोला, सेठ जी ने सबसे पहले तो कहा कि बहन जी माफ करना। गलत मत सोचना, मैं बस यहां से गुजर रहा था... मुझे आपके रोने की आवाज आई... क्यों रो रही है आप? क्या बात है, क्यों परेशान है? तो उसे महिला ने बताया- कि बाबूजी! क्या बताऊं। यहां पर आप देखिए, मेरे साथ सात साल की बच्ची है सोई हुई है जमीन पर... यह बीमार है, डॉक्टर कह रहे हैं कि इसके ऑपरेशन के लिए बड़ा खर्चा होगा। लेकिन कोई मुझे पैसे नहीं दे रहा है... मदद करने के लिए तैयार नहीं है... सेठजी ने दिलासा देते हुए कहा- रोने से आपको थोड़ी ना पैसा मिल जाएगा। रोने से कोई थोड़े ही आपकी मदद कर देगा। और यह सुबह-सुबह क्या रो रही है आप? इससे कुछ नहीं होने वाला, आपको मदद मांगनी है तो जहां आप काम करती है, वहां से मदद लीजिये... महिला ने बताया कि मैं तो घर-घर जाकर के झाड़ू पोछा करती हूं... पर मैं रो तो इसलिए रही थी, क्योंकि कल एक बाबा जी यहां से निकले थे... उन्होंने कहा था कि बेटा सुबह 4:00 बजे कल रोना शुरू करना, और ऊपर वाले को याद करना। लगातार प्रार्थना करना। देखना चमत्कार होगा। इसलिए मैं रो रही थी कि शायद बाबा जी की बात सच हो जाए... शायद ऊपर वाला मेरी सुन ले... सेठ जी ने जब यह सुना, तो उनका दिल पिघल गया... उन्होंने फटाफट से कॉल किया, एंबुलेंस आई, डॉक्टर को कॉल कर दिया कि इस बच्ची का ऑपरेशन होना है.... जितना खर्च होना है वह सब आप मुझसे लेना। आप इस बच्ची को ठीक कर दो, स्वस्थ कर दो... और उस महिला को कहा- कि आप कल से ही मेरे यहां पर आकर की नौकरी शुरू कीजिए। मेरे पास बहुत सारी फैक्टरीज है... आपको जहां काम करना है वहां काम करना। उस महिला के रहने के लिए अपना सर्वेंट क्वार्टर भी दे दिया।
सेठ जी की जो बेचैनी थी, वह तो इस वक्त खत्म हो गई थी... जब उन्होंने एंबुलेंस को कॉल किया था... लेकिन मन में एक शंका थी जो लगातार चल रही थी... सेठ जी सोचने लगे, कि मैं ऊपर वाले से इतनी डिस्टेंस रखता हूं, नास्तिक हूं... मुझे मतलब ही नहीं है... लेकिन क्या वाकई में ऊपर वाला है? यह क्या चक्कर है कि बाबा जी ने कहा कि 4:00 बजे रोना शुरू करना। मैं वहां पर किस्मत से पहुंच गया, और उस महिला के मैं मदद कर दी? सेठ जी के मन में 50 ख्याल आने लगे... फिर दूसरा ख्याल आया कि अगर वाकई में ऊपर वाला है, तो हम यह नीचे वाले लोग क्यों लड़ रहे हैं? वह क्यों हमें लड़ा रहा है? धर्म के नाम पर जात-पात के नाम पर... उस महिला से ना तो मैंने जाति पूछी, ना उसने मेरी जाति पूछी। ऊपर वाले ने भी हमारी जात-पात के बारे में नहीं सोचा। बस मुझे जरिया बनाकर के वहां भेज दिया। सेठ जी को ये समझ में आया की लाइफ में वह काम में बड़ा विश्वास रखते थे... कि कर्म किए जाने चाहिए। जो वह काम करेंगे तो रिजल्ट मिलेगा। उन्हें एक और बात समझ में आई कि काम के साथ-साथ दूसरों की मदद करना भी बहुत जरूरी है.... सेठ जी को उस दिन समझ में आया, कि जब मैंने किसी की मदद की, तो मुझे सुकून मिला। वह जो अंदर की बेचैनी थी वह खत्म हो गई. दुनिया में ऊपर वाले ने सिर्फ एक धर्म मनाया जिसे मानवता कहते हैं... इंसानियत कहते हैं...
यह कहानी काफी कुछ सिखाती है... पहली बात तो सिखाती है- कि अगर आप भरोसा रखेंगे तो चमत्कार जरूर होगा। दूसरी बात सिखाती है कि जिंदगी में एक दूसरे की मदद करते चलेंगे, तो आपकी मदद अपने आप ऊपर वाला करेगा। और तीसरी सबसे बड़ी बात सिखाती है कि जिंदगी में ज्ञान बांटने से हमेशा कुछ नहीं होता। मुस्कान भी बांटना जरूरी होती है...