ये कहानी जिसने भी लिखी है, बड़ी कमाल लिखी है...
एक बार शाम फल खरीदने के लिए मैं मंडी गया.. वहां देखा, एक रेडी थी और उस पर फल रखे थे... लेकिन उसे रेडी पर फलवाला नहीं था... मुझे लगा के फलवाला कहां गया? आसपास ढूंढा तो कोई दिख नहीं। रेडी की छत पर एक छोटा सा बोर्ड टंगा था, और उसे बोर्ड पर लिखा था- कि अगर आप जल्दी में हैं, तो आप फल तोलें, और आपके जो पैसे बनते हैं, रेट कार्ड पास में रखा है... वह पैसे इस गेट के नीचे रख दें... क्योंकि मुझे बीच-बीच में घर जाना पड़ता है... मेरी माँ बूढी है, घर में कोई और देखभाल के लिए नहीं है... तो उन्हें खाना खिलाने के लिए, दवा देने के लिए, टॉयलेट करवाने के लिए बार-बार जाना पड़ता है... एक लाइन और नीचे लिखी थी कि अगर आपके पास में पैसे नहीं है, तो आप मुफ्त में ले जाएं। आपको इजाजत है...
बोर्ड पढ़ने के बाद मुझे लगा, कि यह कौन हो सकता है, जिसने आज के जमाने में इतना विश्वास लोगों पर कर लिया? फिर भी मैंने आसपास देखा कोई मिला नहीं। मैंने प्राइस लिस्ट में से देखकर 2 किलो एप्पल ले लिए... और जो पैसे बनते थे, उसे वही नीचे रख दिए... वहां पर मैंने देखा, तो पहले से कई पैसे रखे हुए थे... 100 का नोट था 10-10 के नोट थे, 50 के नोट थे...
रात में खाना खाकर, मैं घूमने के लिए फिर से निकला, तो रेडी वाला मुझे दिख गया... वह व्यक्ति कमजोर सा था. फटे पुराने कपड़े पहने हुए थे... मैंने आवाज दी, तो उसने कहा- बाबू साहब! फल नहीं है... आप कल आइयेगा... तो मैंने कहा- फल तो ले लिए, पैसे भी रख दिए थे गेट के नीचे। आपसे कुछ बात करना चाहता हूं... मैं उन्हें चाय पिलाने ले गया और नाम वगैरह पूछकर चर्चा शुरू की.. मैंने पूछा कि जो कहानी है आपकी, बोर्ड वाली, आप ऐसे कैसे रेडी छोड़कर के चले जाते हैं? आपको नहीं लगता कि आपका सामान चोरी हो जाएगा, या फिर पैसे चोरी हो जाएंगे? तो उसे व्यक्ति ने मुझे जो अपनी कहानी सुनाई वह जरा ध्यान से सुनिए।
उसने कहा- कि बाबू साहब! मेरी मां पिछले दो-तीन साल से बहुत बीमार रहती है... मेरा कोई बेटा या बेटी नहीं है... मेरी बीवी भी इस दुनिया में नहीं है.... तो इस दुनिया में मैं हूं, और मेरी मां है... एक दिन अपनी मां से उनके पैर दबाते हुए कहा- मां! आप मुझे बहुत बार-बार कहती है कि तू चला जाता है तो जी घबराता है, मन नहीं लगता। लेकिन आप समझोगे नहीं, की मेरे पास पैसा नहीं है.... अगर मैं घर में रहूंगा, तो पैसा कमायेगा कौन? आपकी देखभाल कैसे होगी? मेरी मां, जो ऊपर वाले में बहुत यकीन रखती है, उन्होंने ऊपर वाले को याद करके कहा- कि बेटा एक काम कर... तू रेडी को वहां मंडी में छोड़कर आ जाया कर... और एक बोर्ड लगा दे। उस पर अपनी सारी कहानी लिख दे... और तू देख शाम में जब तू वापस सामान लेने के लिए जाएगा, तेरा 1 रूपया भी ऊपर नीचे नहीं होगा।
मैंने अपनी मां से कहा- कि ये क्या बात कर रही हो? आज की दुनिया में इतने चोर उचक्के हैं, ऐसा माहौल है... ऐसे में कौन मेरी बात भी यकीन करेगा? और जिस रेडी पर रेडी वाला नहीं होगा, वहां से फल कौन खरीदेगा? मेरी मां ने कहा- फालतू की बात मत करो... ऊपर वाले को याद कर, हमारी किस्मत में जितना बनता है वह अपने आप हमारी किस्मत में आ जाएगा। उस दिन के बाद से बाबू साहब! आज ढाई तीन साल हो गए हैं... मैं रोज यह करता हूं... सुबह जाता हूं, रेडी पर फल वगैरह वहीं पर छोड़कर आ जाता हूं... और शाम में जाता हूं सीधा। लोगों को शायद लगता हो कि बीच-बीच में आता होगा, लेकिन मैं नहीं जाता। और आप यकीन नहीं करेंगे, कभी भी 1 रूपया भी ऊपर नीचे नहीं होता। उल्टा रुपए ज्यादा मिलते हैं कई बार... लोग मां के नाम पर वहां पर ज्यादा रुपए रख जाते हैं। कई बार छोटे-छोटे बच्चे माँ के लिए खाने पीने की चीज रख जाते हैं... एक बार छोटी बच्ची पुलाव रखकर चली गयी, और साथ में पर्ची रखकर चली गई की यह आपकी मम्मी के लिए है... एक बार एक डॉक्टर साहब अपनी पर्ची रखकर चले गए... नंबर भी उस पर्ची पर लिख गए कि आपकी मां अगर ज्यादा बीमार हो तो आप मुझे इस नंबर पर कॉल कर लीजिएगा।तब से सब कुछ वैसा ही चल रहा है... हमारी किस्मत में जितना है मां के आशीर्वाद से, ऊपर वाले के आशीर्वाद से, सब कुछ मिल रहा है....
यह छोटी सी कहानी बहुत सारी बातें बताती है... सबसे बड़ी बात- कि तेरे दर पर आने से पहले मैं बड़ा कमजोर होता हूं, और तेरी दहलीज को छूते ही मैं कुछ और होता हूं... अपने ऊपर यकीन रखें अपने ऊपर वाले पर यकीन रखें लाइफ में ऐसी कोई चीज नहीं है जो आपको नहीं मिलेगी। वक्त लग सकता है लेकिन उपरवाले के घर देर है अंधेर नहीं है...